प्रेम में मारा जाना दुनिया की सबसे अच्छी नियति है: गौरव गुप्ता की कविताएँ
गौरव गुप्ता युवा कविता की नयी संभावना हैं। आस पास घट रही इतनी सारी हिंसा, घृणा और षड्यंत्रों के बीच भी इनकी कविताओं में प्रेम अपने...
https://www.merakipatrika.com/2020/05/blog-post_18.html
गौरव गुप्ता युवा कविता की नयी संभावना हैं। आस पास घट रही इतनी सारी हिंसा, घृणा और षड्यंत्रों के बीच भी इनकी कविताओं में प्रेम अपने सबसे सुंदर रूप में मौजूद हैं, जहाँ शब्दों के बीच से झाँकती प्रेम के लिए प्रतीक्षा, प्रतिबद्धता, समर्पण और आकुलता पाठकों को भी अपनी ओर खींच लेती है। एक शुद्ध, ईमानदार प्रेम कविता लिखना सबसे मुश्किल काम है लेकिन गौरव की कविताओं में प्रेम बहुत ही सहजता से उतर आता है।
मेराकी पर प्रस्तुत है गौरव गुप्ता की नयी कविताएँ
प्रेम में
मुझे विश्वास है
एक रोज मैं मारा जाऊँगा
किसी युध्द में नही
प्रेम में
प्रेम में मारा जाना
दुनिया की सबसे अच्छी नियति है
आप स्वर्ग और नरक नही जाते
आप रहते है
इसी धरती पर
प्रेम बनकर
किये जाते है याद
लिखे जाते है कहानी, कविताओं और प्रेम पत्रों में
दर्ज हो जाते है उन दीवारों पर
जहाँ खुरचते है प्रेमी जोड़े अपने नाम
आप होते है उन दरख्तों में
जिसके नीचे सुनाए जाते है
प्रेम के किस्से
आप होते है उस नदी में
जहाँ फेंके जाते है मन्नतों के सिक्के
आप होते है उस मज़ार पर
जहाँ बांधे जाते है धागे
आप होते है,
हरे घास की तरह फैले हुए
जिसपर लेट प्रेमी जोड़े
ढूंढ रहे आकाश में ध्रुव तारा
सम्भावना तो ये भी है
कि मारा जाऊँ
शहर में लगी आग में
या घुट जाए मेरा दम
हवाओं में घुले घृणा के जहर में
इन तमाम संभावनाओं के बावजूद
मुझे विश्वास है
एक रोज मैं मारा जाऊँगा
प्रेम में
लगा रहा होऊँगा
किसी को गले
या लिख रहा होऊँगा प्रेम पत्र
यह जानते हुए कि घृणा के बीचों बीच
लिखना प्रेम कितना घातक है
और मैं लिखूँगा प्रेम
और मारा जाऊँगा
मुझे विश्वास है
तुम बची रह गयी मुझमें
तुम बची रह गयी मुझमें
जैसे
लोटा भर पानी गटक जाने के पर भी
बची रहती है गर्मियों में प्यास
जैसे ,
हथेलियों से पानी पोछ लेने के बाद भी
बची रहती है हाथों में नमी
जैसे
लकड़ियों के जल कर राख बन जाने के बाद भी
बची रहती है ऊष्मा
जैसे
रगड़ कर धुल जाने पर भी
बचा रहता है कुछ रंग कपड़ो पर
जैसे
कप की पेंदी में
बची रहती है घूंट भर चाय
जैसे
जैसे
मृत्यु के बाद भी
बची रहती है जान कुछ अंगों में
जैसे
डालियों से टूट कर बिखर जाने के बाद भी
बची रहती है सुंगन्ध फूलों में
जैसे बचा रहता है
जैसे बचा रहता है
इंतज़ार, झूलता हुआ सांकल की तरह
मन के दरवाजे पर
करता है चोट बार बार
तुम बची रही मेरे स्मृतियों में
ठीक वैसे ही
जैसे बचा रहता है
किसी बूढ़े के स्मृति में उसका बचपन
जिसे वो दुबारा जीना चाहता है
किताबें
प्रेम में
सिर्फ़ फूल मत देना
देना किताबें भी
जिसके बीच
रखा जा सके सुरक्षित
सूखते फूल को
किताबें सिर्फ़
फूल नही बचाती,
खो जाने से
वे बचा लेती है
प्रेम की विस्मृति भी
मिलना
मिलना
कि मिलने से
कम होता है दुःख
छूना
कि छूने से भर जाते है
दुःख के गड्ढे
सुनना
कि सुनने से
सोख ली जाती है
दुःख की आवाज
चलना
कि साथ साथ
कुछ दूर चलने से
भूल जाते है
दो लोग अपने अपने दुःख
अलग अलग दिशा में
सफर के बावजूद
लौटना
कि लौटने से
मिल जाता है सुख
जो सारे जमा दुखों को ढक देता है तत्क्षण
जैसे कोई
जख्म पर मरहम लगा रहा हो
धीरे धीरे
तुम
‘तुम सुंदर हो’
यह लिखने के लिये
मैंने घोली स्याही और
कागज के एक टुकड़े पर
लिखा पहला शब्द ‘तुम’
उसी वक़्त एक सुनहरी चिड़िया आ टकराई और
सारा नीला रंग बिखर गया आसमान में
सुनहरी चिड़िया पँख फड़फड़ा के उठी
और सुनहरे पँख के रोएं फैल गये
अनगिनत तारों में
कागज का वह टुकड़ा
ले गयी चिड़िया
अपनी चोंच में दबाकर
और टांक दिया आसमां में
आसमान में चमकता ‘चांद’
कागज का वही टुकड़ा है
जिस पर लिख पाया था सिर्फ़ पहला शब्द
‘तुम'
तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हारे जाने के बाद
बहुत तेज भागता हूँ
तब भी नही छूट पाता है दुःख
परछाई की तरह भागता है साथ साथ मेरे
झटकता हूँ जोर से हाथों को तो
उँगलियों में चिपक जाता है
जितनी बार टुकड़े करता हूँ
हर टुकड़े में दुःख ले लेता है नया जीवन
और इस तरह दुःख के सैकड़ों,
हज़ारों
टुकड़े से घिर जाता हूँ.. बेतहाशा भागता हूँ
छिपता हूँ यहाँ वहाँ
और पाता हूँ हर खाली जगह पर
मेरे छिपने से पहले ही
वहाँ कोई और छिपा बैठा है
जैसे वो मेरे ही ताक में हो
तुम्हारे जाने के बाद
मेरे खाली मन पर
घास की तरह उग आया है दुःख
जो घेरता जा रहा है हर जगह
मेरे जीवन में
स्मृतियों के जेल से एक कैदी का ख़त
मेरी उदासी में, तुम ऊष्मा थी
ठिठुरती जिंदगी की उम्मीद
जिस पर मैं अपना मन सेंकता था
तुम्हारी मौजूदगी मेरे बहुत
अकेलेपन को
किसी जादू की तरह,
कम अकेलेपन में बदल दिया करती थी
मैंने जब भी कहा, मुझे डर लगता
है
तुमने दिया अपने हृदय की ओट
छिपने को
तुमने सुनाया मुझे प्रेम के गीत
सिखायी तुमने प्रेम की भाषा
तुमने थमाया अपनी अँगुली और बचा लिया खोने से
तुम रही मेरी जिंदगी में हवा की तरह
मेरे अंदर हर उभरी रिक्तता को भरते हुये
और जब तुमने कहा -"रुको"
मैं नही सुन सका तुम्हारी आवाज,
अपने ही शोर में मैं बढ़ गया आगे बिना जाने की तुम रुक कर देख रही हो
वर्तमान के स्वप्न
आगे जाने पर मैंने अपना हाथ खाली पाया
अब मैं तुम्हारे उस आवाज को सुनने के लिये
एकांत में रहना चाहता हूँ
मैं दीवार, दरख्तों में कान लगाकर सुनना चाहता
हूं तुम्हारी पुकार
जिसे उन्होंने मेरे ना सुनने पर सोख लिया होगा
मुझे शोर से चिढ़ होने लगी है
मैं वापस लौटता हूँ बार बार
स्मृति की पगडंडी पर उल्टे पाँव
शायद तुम मिलो कहीं और माँग सकूँ माफ़ी तुमसे
मैं चाहूँगा, रोऊँ तुम्हारे सामने फूटकर
और तुम गुस्से में गले भी ना लगाना
मैंने छीना है तुमसे तुम्हारा प्रेम
तुम्हारे सुखद स्मृतियों का हत्यारा हूँ मैं
मेरी दोस्त, चुप मत रहो
मुझे सज़ा दो
कुछ छोटी
कविताएँ
ज़रूरत
दुनिया बचाने के लिए
कठोर हाथ
और मुलायम दिल की ज़रूरत है
पानी
नदियों में पानी
जीवन बचा सकता है
और आंखों में पानी
मनुष्यता
दोनों में पानी का बचे रहना जरूरी है
ताकि पृथ्वी बचायी जा सके
नीला रंग
आकाश का रंग नीला है
दुखों का रंग भी नीला है
दोनों का विस्तार अनन्त है
मैं जब भी तुम्हारी नीली आँखों में देखता हूँ
खो जाता हूँ
ताप
चुम्बन की ताप पर
प्रेम का अदहन पकता है
सबसे ख़ूबसूरत घटना
विपरीत दिशा में सफर करते वक़्त
दो लोगों का आख़िरी बार
एक दूसरे की ओर मुड़ कर देखना
दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत घटना है
प्रतिबिम्ब
कविताएँ
प्रतिबिम्ब है
अनकहे प्रेम और अनसुनी पीड़ाओं की
प्रशंसा
मुझे लगता है
कविताओं के प्रशंसा के लिये
नही बने है कोई शब्द
कविताओं के प्रशंसा के लिये
बनी है चुप्पी, आँसू और बेचैनी
सलाह
(स्त्री से)
जो पुरुष
तुम्हारे सामने
रो सकता है
उसे गले लगा लेना
(पुरुष से)
जो स्त्री
तुम्हें रोने के लिये कंधे दे
उससे ख़ूब प्रेम करना
------------------------------
भुला दिया जाऊँगा मैं , उन सब के
द्वारा जिससे मैं कभी कही मिला होऊँगा, भूल जाएंगे सब
मेरे हथेलियों के स्पर्श जिसने गर्मजोशी से कभी पकड़ा होगा किसी का हाथ, भूल जाएंगे
मेरा चेहरा, मेरे ही यार, दोस्त....
मैं कहाँ होऊँगा के सवाल के जबाब में पाता हूँ..
किसी फुटनोट की तरह पड़ा रहूँगा मैं मेरी कविताओं में... कभी कभी कोई
कविता पढ़ने के बाद पढ़ लेगा नीचे लिखा मेरा नाम धीमे से, सुनने वाला सुन पायेगा सिर्फ़
और सिर्फ़ कविताएँ, इतना धैर्य नही किसी के पास सुन पाये
किसी कवि का नाम...उसे कविता सुनने के अलावा होते है हजारों काम...
किसी प्रेमी द्वारा सुनाई जाएगी मेरी प्रेम कविता प्रेमिका को फोन
पर...
किसी अनजान महफ़िल में रह जायेगी सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी कविता...
फिर क्यों लिखता हूँ के जबाब में कहूँगा सबसे, इसी सुकून में लिखता
हूँ कविता कि कोई कभी उत्सुक हुआ भी मुझे जानने के लिए तो मैं मिल सकूँ उससे अपनी
कविताओं में, कहूँगा अपनी कहानियां अपनी कविताओं में....
इससे ज्यादा मेरा सामर्थ्य नही, विदा के वक़्त खाली हाथ नही भेजूँगा
उसे... रख दूँगा "विदा की कविता" उसके हाथ में...
उसे निराश नही करूँगा की वो इस कविता के कवि से कभी नही मिला.... .
मैं घुल जाऊँगा अपनी कविता में... जैसे हवा घुला होता है पानी में....
.
अपनी कविताओं में मिलने का वादा रहा...
---------------------
कवि परिचय
युवा कवि, और टिप्पणीकार
विभिन्न पत्र ,पत्रिकाओं में प्रकाशित कविताएँ,आलेख,डायरी
मुम्बई लिटरेचर फेस्टिवल में बेस्ट पांडुलिपी अवार्ड 2019
प्रकाशित कविता संग्रह- "तुम्हारे लिए"
लिट्-ओ-फेस्ट प्रकाशन,मुम्बई
वर्तमान पता- wz 1379 ,फोर्थ फ्लोर, नांगल राया,
ओमी पार्क के निकट,पश्चिमी दिल्ली, 110046
स्थायी पता- रानीगंज मुहल्ला ,बारा चकिया, पूर्वी चंपारण ,बिहार 845412
संपर्क - 8826763532
सुंदर, बधाई कवि और प्रकाशक को।
ReplyDeleteअनछुए बिंबों की बहुत ही सुंदर कविताएँ..!
ReplyDelete