पवित्रा : सपना सिंह की कहानी
https://www.merakipatrika.com/2020/07/blog-post_9.html
सपना सिंह हिन्दी कहानी की एक
सुपरिचित नाम हैं। मेराकी पर पढ़ते हैं, उनकी एक
नयी कहानी -पवित्रा,
जहाँ घरेलू हिंसा और स्त्री शोषण को नए नज़रिए से परखने की
कोशिश की गयी है। घर की चारदीवारी में जो घटित होता है, उसका एक
दूसरा पक्ष भी हो सकता है,
जो अक्सर हमसे अनदेखा रह जाता है। यह कहानी बिना किसी
निर्णय पर पहुंचे सिर्फ़ एक तस्वीर खींचती है और पाठकों को अपने प्रश्नों के साथ
छोड़ देती है। मानवीय सम्बन्धों की जटिलतों से जुड़े ऐसे प्रश्न जिनका कोई समाधान
शायद संभव ही नहीं है।
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वो ऊपर सातवीं मंजिल पर बने सर्वेंट
क्वार्ट्ज में से एक में रहती थी अपने परिवार के साथ। यहाँ काम करने वाली मेड
ज्यादातर,
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दो
दिन बाद ही उसके शरीर पर चोट का निशान दिखाई दिया। गर्दन हिलाते डुलाते भी दर्द
हो रहा था उसे। क्या हो गया मैंने पूछा। पीकर राक्षस बन जाता है वह मैडम बहुत
मारा कल रात । आंसू भरी आंखों से बोली। मुझे गुस्सा आ गया - ऐसे कैसे मार सकता है
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कुछ नहीं,
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इस बीच हमें साउथ एक्स में घर मिल गया
। यहां से ज्यादा बड़ा और सुविधा संपन् संपन्न । बहुत सोच समझ कर हमने वहां जाने
का मन बना लिया । कुछ साल रह गए थे रिटायरमेंट के । इसी दौरान बच्चों के शादी
ब्याह होने थे ,
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पवित्रा बड़े संकोच से बोली ' ।'
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सपना सिंह
जन्म तिथि
शिक्षा
प्रकाशित कृतियॉ -
आकशवाणी से कहानियों का निरतंर प्रसारण।
प्रतिलिपि, सत्याग्रह, शब्दाकंन, हस्ताक्षर, पहलीबार, नॉटनाल वेब पत्रिकाओं में कहानियां।
उपन्यास
कहानी संग्रह़
संपर्क - सपना सिंह
द्वारा प्रो. संजय सिंह परिहार
म.नं. 10/1456, आलाप के बगल में,
अरूण नगर रीवा (म.प्र.)
मो.न्ं. 09425833407
सपना आज के समय की एक बेहतरीन कहानीकार है । उनकी यह कहानी पहले भी पढ़ी है ।बेहतरीन कहानी के लिए बधाई
ReplyDeleteशुक्रिया दोस्त
Deleteबहुत अच्छी कहानी
ReplyDeleteबहुत अच्छी कहानी
ReplyDeleteआभार नीरज जी
DeleteSapna Singh is a prominent writer in Hindi and is widely recognised and published.
ReplyDeleteThis story is a powerful document and illustration of her creative spirit.
Congratulations Sapna for such a good story.
बहुत आभार दीदी। आप जैसी वरिष्ठ और समर्थ रचनाकार जब किसी रचना को मान्यता देते हैं तो स्वयं पर भरोसा जगता है।
Deleteबहुत आभार दीदी। आप जैसी वरिष्ठ और समर्थ रचनाकार जब किसी रचना को मान्यता देते हैं तो स्वयं पर भरोसा जगता है।
Deleteबहुत आभार दीदी। आप जैसी वरिष्ठ और समर्थ रचनाकार जब किसी रचना को मान्यता देते हैं तो स्वयं पर भरोसा जगता है।
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