गीताश्री
जीवन परिचय
गीताश्री
कथाकार, स्त्री विमर्श, पर्यावरण, सामाजिक मुद्दों तथा अन्य
सम-सामयिक विषयों की सजग एवं वरिष्ठ पत्रकार।
मुजफ्फरपुर (बिहार) में जन्मीं गीताश्री देश की
जानी-मानी युवा पत्रकार, कहानीकार
तथा कवयित्री हैं। सर्वश्रेष्ठ हिंदी पत्रकार (वर्ष 2008-09) के लिए रामनाथ गोयनका
पुरस्कार से सम्मानित गीताश्री पत्रकारिता के साथ-साथ साहित्य की दुनिया में भी
बेहद सक्रिय हैं। उनकी कहानियां अब तक हंस, नया ज्ञानोदय, इंडिया टुडे, लमही, पर्वतराग, इरावती, सृजनलोक, निकट, इंडिया न्यूज
पत्रिकाओं में न सिर्फ सराही गई हैं बल्कि वरिष्ठ कथाकार और हंस के संपादक
राजेंद्र यादव जैसी हस्तियों ने भी उनकी बेबाकी, स्त्री विमर्श के अनछुए पहलुओं पर उनकी पैनी नजर की खुलकर तारीफ की है। वह
कहते हैं, ‘गीताश्री पेशे से पत्रकार
हैं इसलिए उनके पास विषयों की कमी नहीं है, उनके पास हर तरह के अनुभव हैं। हो सकता है कि पत्रकारिता की यह गंध उनकी
कहानियों में भी आती हों, लेकिन
वह बहुत साधकर रचना में डूबती हैं। गीता हिंदी में बिल्कुल अलग तरह की आधुनिक
कथाकार हैं क्योंकि देह को नैतिक-अनैतिक वर्जनाओं से उठाकर वह स्त्री-मुक्ति के
अगले पक्षों को भी कथा-रूप देती हैं।’ चुनौतीपूर्ण राजनीतिक पत्रकारिता से लेकर
साहित्य, सिनेमा, सामाजिक विषयों पर अच्छी पकड़ होने के कारण गीताश्री कई
देशों की यात्रा का अनुभव और अवसर प्राप्त कर चुकी हैं। इन दिनों आउटलुक (हिंदी)
पत्रिका में सहायक संपादक के पद पर कार्यरत रहते हुए उन्हें कई प्रतिष्ठित
पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा जा चुका है। औरत की अस्मिता पर निरंतर लेखन के
लिए चर्चित हो चुकीं गीताश्री को देश के कई प्रतिष्ठित संस्थानों की ओर से फेलोशिप
मिल चुके हैं जिनमें नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया मीडिया फेलोशिप (2008), इन्फोचेंज मीडिया फेलोशिप (2008), नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया मीडिया फेलोशिप (2010), सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (2010) और पैनोस साउथ एशिया मीडिया फेलोशिप
प्रमुख हैं।
कार्यक्षेत्र
रिपोर्टिंग और संपादन
: आउटलुक (हिंदी) (अगस्त 2003 से अब तक)
रिपोर्टिंग :
वेबदुनिया डॉट कॉम (मई 2000 से मई 2001) में ब्यूरो चीफ
रिपोर्टिंग : दूरदर्शन
समाचार में ‘रोजाना’ की प्रमुख संवाददाता (सितंबर 1999 से मार्च 2000)
रिपोर्टिंग : अक्षर
भारत में प्रमुख संवाददाता
स्वतंत्र भारत
(अक्तूबर 94 से दिसंबर 98) प्रमुख संवाददाता
रचना
क्षेत्र
चुनौतीपूर्ण राजनीतिक
पत्रकारिता से लेकर साहित्य, सिनेमा, कला-संस्कृति, स्त्री-विमर्श और सामाजिक मसलों पर अच्छी पकड़। पत्रकारिता से जुड़े सभी
माध्यमों में काम करते हुए आदिवासी लड़कियों की तस्करी, नक्सलवाद बनाम सलवा जुडूम, जलवायु
परिवर्तन और डूबता सुंदरवन, तंबाकू
उत्पादों का समाज पर प्रभाव, बंधुआ
मजदूरी, बीड़ी उद्योग और बीड़ी
मजदूरों की व्यथा पर गहन और शोधपरक रिपोर्टिंग।
पुरस्कार
1. झारखंड और
छत्तीसगढ़ से आदिवासी लड़कियों की तस्करी पर रिपोर्टिंग के लिए रामनाथ गोयनका
सर्वश्रेष्ठ हिंदी पत्रकार पुरस्कार (2008-09)
2. रोजगार प्रदाता
एजेंसियों की आड़ में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की आदिवासी लड़कियों की तस्करी पर
सर्वश्रेष्ठ खोजपरक रिपोर्टिंग के लिए यूएनएफडीए-लाडली मीडिया अवार्ड (2009-2010)
3. छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्य प्रदेश की आदिवासी महिलाओं की तस्करी पर शोध
के लिए नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया, मीडिया
फेलोशिप (2008)
4. तंबाकू उत्पादों पर
सचित्र चेतावनी का प्रभाव पर शोध के लिए नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया, मीडिया फेलोशिप (एनएफआई) पुरस्कार (2009-2010)
5. छत्तीसगढ़ के बस्तर
क्षेत्र में नक्सलवाद के प्रभाव के कारण आदिवासियों के पलायन पर शोध के लिए
इन्फोचेंज मीडिया फेलोशिप (2008)
6. पश्चिम बंगाल के
तटवर्ती इलाके सुंदरबन पर जलवायु के प्रभाव की सनसनीखेज रिपोर्टिंग के लिए सेंटर
फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की नौवीं मीडिया फेलोशिप (2010)
7. राजस्थान में बंधुआ
मजदूरों की व्यथा पर रिपोर्टिंग के लिए ग्रासरूट फीचर अवार्ड
8. महिलाओं के मुद्दों
पर रिपोर्टिंग के लिए न्यूजपेपर एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से पुरस्कार
9. सर्वश्रेष्ठï फिल्म रिपोर्टिंग के लिए मातृश्री पुरस्कार
10. फिल्म तथा अन्य
कला विषयों की उत्कृष्ट समीक्षा के लिए अभिनव रंग मंडल, उज्जैन की ओर से राष्ट्रीय कला समीक्षा सम्मान
11.आधी आबादी वीमेन
अचीवर्स अवार्ड-2010
12.28वां एस,राधाकृष्णन स्मृति राष्ट्रीय मीडिया सम्मान-2012
कृतियां
अब तक प्रकाशित
पुस्तकें
1. कविता जिनका हक
(कविता संग्रह), राजेश प्रकाशन हिंदी अकादमी से सहयोग प्राप्त
2. स्त्री आकांक्षा के
मानचित्र (स्त्री विमर्श), सामयिक
प्रकाशन, सेकेंड संस्करण
3. 23 लेखिकाएं और
राजेंद्र यादव (संपादन और संयोजन), किताब
घर , बेस्ट सेलर
4. नागपाश में स्त्री
( स्त्री-विमर्श, संपादन), राजकमल प्रकाशन , सृजनगाथा अंतराष्ट्रीय साहित्य सम्मान, बैंकाक, थाईलैंड प्राप्त कृति
5. औरत की बोली
(स्त्री विमर्श), सामयिक प्रकाशन -2011
6.सपनो की
मंडी(आदिवासी लड़कियों की तस्करी पर आधारित) वाणी प्रकाशन-2012
इसके अलावा पहला कहानी
संग्रह, प्रार्थना के बाहर और अन्य
कहानियां (वाणी प्रकाशन) और
बैगा आदिवासी पर एक और पुस्तक देहराग (वन्या प्रकाशन) से शीघ्र
प्रकाश्य
अन्य गतिविधियां
फ्रीलांसर के तौर पर
राष्ट्रीय सहारा में दो वर्षों तक स्तंभ लेखिका। ‘कला दीर्घा’ नामक यह स्तंभ
समकालीन कला गतिविधियों के लिए समर्पित।
दूरदर्शन के ‘कला
परिक्रमा’ कार्यक्रम में साक्षात्कारकर्ता के तौर पर योगदान। समाचार-पत्रों, टीवी चैनलों और रेडियो के लिए विभिन्न क्षेत्रों की
प्रतिष्ठिïत हस्तियों से साक्षात्कार। संप्रति अपने
दो ब्लॉग पर हमारा नुक्क्ड़, नदिया
बहती जाए, अपने सशक्त लेखन और अभिव्यक्ति से साहित्य और पत्रकारिता जगत में अपनी ठोस
उपस्थिति का अहसास कराती हैं।
गीताश्री जी एक नाम ही नहीं है हिंदी साहित्य में नारी ु एक दुसरे के पुरक है जब जब नारी ुउठान् की बात आएगी तो गीताश्री जी बिना अधूरी राह जाएगी
ReplyDeleteदेश की ऐसी मातृ शक्ति को हृदय से नमन....
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