'साहित्य अकादमी' दिल्ली के
सभागार में 'शलभ प्रकाशन' द्वारा 6
दिसंबर 2014 को 'अतीत के
पाँव' ( गीत संग्रह- मदन शलभ ),' मुमकिन
तो है' ( ग़ज़ल संकलन -मदन शलभ, प्रवीण
पंडित, गीता पंडित ), 'गली गंवारिन'
( कहानी संग्रह- प्रवीण पंडित ), 'अब और नहीं
बस' (नवगीत संग्रह -गीता पंडित ) की पुस्तकों का लोकार्पण
किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी साहित्य की चर्चित लेखिका पुष्पा
मैत्रेयी ने की । मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद प्रख्यात शायर व कवि लक्ष्मीशंकर
वाजपेयी, मुख्य वक्ता विजय किशोर मानव (सुपरिचित गीतकार) एंव
विवेक मिश्र (सुपरिचित कथाकार) ने इन पुस्तकों पर अपने- अपने विचार रखे। इस मौके
पर पुष्पा मैत्रेयी ने किताबों पर चर्चा करते हुए एक स्त्री ( गीता पंडित ) का
प्रकाशन के क्षेत्र में आने को विशेष रूप से सराहा। कथाकार विवेक मिश्र ने प्रवीण
पंडित के कहानी संग्रह गली गंवारिन पर चर्चा करते हुए कहा कि ये कहानियाँ मौलिक
कहानियां हैं। पात्रों का चयन और प्रस्तुति बिलकुल जमीन से जुडी हुई है। गीतकार
विजय किशोर मानव ने गीत और नवगीत की प्रासंगिकता को बेहद ही सारगर्भित तरीके से
ज़ाहिर किया। और इस गद्यात्मक समय में गीत-नवगीत लिखने पर गीता पंडित की सराहना की
। हिन्दी साहित्य में विशेष रूप से कविता में कम होती लोगों की रूचि, व कविता में थोड़ी सी कविताई की महत्ता पर भी अपनी बात रखी। शायर व कवि
लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने मदन शलभ की लिखी गजलों को कहने के साथ-साथ उन तत्वों पर भी
प्रकाश डाला जो आजकल हिन्दी साहित्य से गायब होते जा रहे हैं । प्रवीण पंडित और
गीता पंडित ने भी अपने लेखन के उद्देश्य की सार्थकता से लोगों को अवगत कराया।
कार्यक्रम का संचालन सईद अय्यूब ने बेहद ही औचारिक तरीके से किया। कार्यक्रम को इस
लिहाज़ से काफी महत्वपूर्ण रहा कि इसमें गजल, गीत, नवगीत और कहानियों पर एक साथ चर्चा हुई।
शलभ प्रकाशन द्वारा चार पुस्तकों का विमोचन
Posted by Meraki on 20:14 with 1 comment
Posted in event, Meraki, गीता पंडित, मेराकी
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आभार मित्र रश्मि ! नव-वर्ष की अनंत शुभकामनाएं ..
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