श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'
श्रीकान्त मिश्र 'कान्त' का जन्म 10 अक्तूबर 1959 को उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी स्थित गांव बढ़वारी ऊधौ में विजयादशमी की प...
श्रीकान्त मिश्र 'कान्त' का जन्म 10 अक्तूबर 1959 को उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी स्थित गांव बढ़वारी ऊधौ में विजयादशमी की पूर्व संध्या पर हुआ। शिक्षक पिता पण्डित सत्यदेव मिश्र एवं धार्मिक माता अन्नपूर्णा देवी के दूसरे पुत्र श्रीकान्त को पिता से उच्च नैतिक मूल्य, वैज्ञानिक सोच तथा धार्मिक मां से सहज मानवीय संवेदना की विरासत मिली। उत्तर प्रदेश की तराई स्थित गांव के पलाशवनों से घिरे प्राकृतिक परिवेश में सेमर तथा टेसू फूलों के बीच बचपन में ही प्रकृति से पहला प्यार हो गया। यद्यपि सातवीं कक्षा में पढ़ते हुये पहली बार कविता लिखी फिर भी गद्य पहला प्यार था। विद्यार्थी जीवन में रेलवे प्लेटफार्म पर, बस में प्रतीक्षा के समय अथवा हरे भरे खेतों के बीच पेड़ क़े नीचे, हर पल कागज पर कुछ न कुछ लिखते ही रहते। बाद में जीवन की आपाधापी के बीच में गद्य के लिये समय न मिलने से हृदय की कोमल संवेदनायें स्वतः कविता के रूप में पुनः फूट पड़ीं।
हाईस्कूल की परीक्षा पास के कस्बे बरवर से करने के उपरान्त आगे की पढ़ायी हेतु काकोरी के अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मल' के नगर शाहजहांपुर आ गये। आपात स्थिति के दिनों में लोकनायक जयप्रकाश के आह्वान पर छात्र आंदोलन में सक्रिय कार्य करते हुये अध्ययन में भारी व्यवधान हुआ और: बी एस सी अंतिम बर्ष की परीक्षा बीच में छोड़नी पड़ी। तत्पश्चात विद्युत इंजीनीयरिंग में डिप्लोमा और बाद में कैमरा और कलम से बचपन का साथ निभाते हुये मल्टीमीडिया एनीमेशन, विडियो एडिटिग में विशेषज्ञता के साथ कम्प्यूटर एप्लीकेशन में स्नातक (BCA) शिक्षा प्राप्त की।
वर्ष 1993 में कीव (यूक्रेन) में लम्बे प्रवास के दौरान पूर्व सोवियत सभ्यता संस्कृति के साथ निकट संपर्क का अवसर मिला। तदुपरान्त अन्य अवसरों पर ओमान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान तथा भूटान की यात्रा से वैश्विक विचारों में संपुष्टता हुयी।
केन्द्रीय सेवा में रहते हुये असम के जोरहाट से गुजरात में जामनगर दक्षिण में बंगलौर, चेन्नेई से लेकर नागपुर, कानपुर, आगरा, चण्डीगढ कोलकाता सहित सारे भारत में लम्बे प्रवास से अखिल भारतीय सांस्कृतिक विद्यार्थी होने का अभिनव गौरव। विभिन्न समाचार पत्रों, में कविता लेख एवं कहानी का प्रकाशन। विभाग की पत्रिकाओं में लेख निबन्ध के प्रकाशन के साथ कई बार सम्पादकीय दायित्व का निर्वहन। कम्प्यूटर शिक्षा एवं राजभाषा प्रोत्साहन कार्यक्रमों में सक्रिय योगदान एवं कम्प्यूटर पर युनीकोड प्रचार हेतु विभाग में राजभाषा शील्ड सहित तथा अन्य मंचों पर अनेक बार सम्मानित।