
कविता में स्त्री - कुछ तुम्हारी नज़र, कुछ हमारी
कोई महिमामंडन नहीं करूंगी , किसी विशेषण , किसी अलंकरण से नहीं सजाऊँगी। स्त्री , तुम मानुषी हो , खुल कर सांस ले पाओ , जी पाओ हर ग...
कोई महिमामंडन नहीं करूंगी , किसी विशेषण , किसी अलंकरण से नहीं सजाऊँगी। स्त्री , तुम मानुषी हो , खुल कर सांस ले पाओ , जी पाओ हर ग...
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